प्रेरक पद्य संग्रह (inspire poem's collection )

                    { पूर्ण समर्पण को परिभाषित करती हुई poem} 

                     तर्ज=सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा 

                                {Source - रामवर्षा by स्वामीरामतीर्थ }  

(1)कुंदन के हम डले है, जब चाहे तू गला ले 

      बावर° न हो, तो हमको ले आज आजमा ले ।।

      जैसी तेरी खुशी हो,सब नाच तू नचा ले

      सब छान बीन करले, हर तौर* दिल जमा ले ।।1।।

      राजी है हम उसी में जिस में तेरी रजा है 

      याँ® यों भी वाह वाह है और वों भी वाह वाह है ।। 

  (2) या दिल से अब खुश होकर हमको प्यार© प्यारे 

       या तेगखैंच जालिम ^ ! टुकड़े उड़ा हमारे  ।।

      जीता रखे तू हमको या तन से सिर उतारे 

      अब तो फ़कीर आशिक़ कहते हैं यों पुकारे ।। 2 ।।

      राजी है हम उसी में जिस में तेरी रजा है 

      याँ यों भी वाह वाह है और वों भी वाह वाह है  ।।

(3) अब दर' पै अपने हमको रहने दे या उठा दे

       हम इस तरह भी खुश हैं ,रख या हवा बना दे ।।

       आशिक हैं पर क़लन्दर चाहे जहाँ बिठा दे

       या अर्शपर चढादे या खाक में सुलादे  ।।3।।

      राजी है हम उसी में जिस में तेरी रजा है

      याँ यों भी वाह वाह है और वों भी वाह वाह ।।

° बावर =विश्वास

* तौर = हर तरह, तरीका

™ मर्जी

® याँ= यहां ,हमारे मन में

© प्यार =प्रेम कर

♂ तेग =तलवार

^ जालिम = जुल्म करने वाला

' दर = द्वार अर्थात्  निकट अपने

● अर्श =आकाश

★ कलंदर= संत


  

       

      

        

    

हिमगिरी लाँघ चला आया मैं, लघु कंकर अवरोध बन गया ...
यां यों भी वाह वाह है और वों भी वाह वाह है ....

2 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

अत्यंत प्रेरक

https://darshansamiksha.blogspot.com/ ने कहा…

सुन्दरम् यदि समझ गए तो ।