भामती एवं विवरण के दृष्टिकोणों का तुलनात्मक चित्रण(Difference between bhamati and vivarana prasthan)

अद्वैत वेदान्त के प्रस्थान     

                     1 स्वप्न का अधिष्ठान                      भामतिमते-अहंकार से अवच्छिन्न चैतन्य

विवरणमते-बिम्बचैतन्य

         2 स्वाप्न का परिणामी  उपादान कारण

भामतिमते-मन की कल्पना मात्र होने से स्वाप्न पदार्थ किसी का परिणाम नहीं ।

विवरणमतेस्वाप्न पदार्थों का परिणामी उपादान तुलाविद्या  । 

3भ्रम का अधिष्ठान

भामतिमते- ईदमाकारवृत्ति से अवच्छिन्न  चैतन्य  

विवरणमतेइदमंशावछिन्न चैतन्य  

                               (सिद्धान्तलेश.by मूलशं.३४८)

4 जीव ब्रह्म का सामानाधिकारण्य

भामतिमते-बाधसामानाधिकरण्य ।

विवरणमते- मुख्यसामानाधिकारण्य

5 मोक्ष का स्वरूप

भामतिमते-अविद्या की निवृत्ति

विवरणमते-आत्मस्वरूप में अवस्थिति

6 प्रातिभासिकपदार्थबाध का स्वरूप

भामतीमतेतुलाविद्या के कार्य ( शुक्तिरजत) के अधिष्ठान (शुक्ति आदि )के साक्षात्कार से सोपादानक (तुलाविद्यासहित )शुक्तिरजत का  नाश होना ही प्रातिभासिक-पदार्थ का बाध है ।

विवरणमतेमुद्गर प्रहार से घट की तरह शुक्तिरजत मात्र की निवृत्ति। न कि उपादानभूत मुलाज्ञान सहित नाश ,क्योंकि वह मूलाज्ञान तो ब्रह्मसाक्षात्कार से ही निवृत्त होगा ।।                             (अद्वैत-नवानीतम 40)

7  एक जीव  है या अनेक

भामतीमते-एक जीव

विवरणमते-जीव नाना              (अद्वैत-नवानीतम्  १२)


8 विषय प्रकाशक

भामतीमते-प्रकाशकत्वं जीवचैतन्यस्यैव स्वीक्रियते।तच्च एकीभावद्वारकमेव ।

वरणमते -साक्षात्ब्रह्मप्रकाशत्वेन  आवरणाभिभावार्थत्वपक्षो विवरणाचार्याणाम्।    [वेदांतपरिभाषा A.K.S. १०१)

9 जीवेश्वरत्व की उपाधियाँ

भामतीमते-घटाकाशवत्  अंत:कराणावछिन्ना जीवा: तदवछिन्न ईश्वर: |

विवरणमते-अज्ञानप्रतिबिम्बस्यान्त:करणरूपाज्ञान-परिणामभेदोविशेषाभिव्यक्तिस्थानम् सूर्यातपस्य दर्पण इवेति विवरणपक्ष: ।           (अद्वैतनवानीतम् ५३-५४ ]

10 आवरण अभिभव का स्वरूप

भामतीमते- चैतन्यमात्रावारकस्याज्ञानस्यैकदेशेन वृत्त्या नाश: ।

विवरणमते-कटवत् संवेष्टनम्  भीतभटवत्  अपसरणं वावरणाभिभव: । 

(तत्र प्रथममतम् अज्ञानस्य जीवाश्रयत्वपक्षावलम्बनात् वाचस्पतिमिश्रानुयायिनामपरे तु विवारणानुयायिनाम् )                                (वेदान्तपरिभाषा a.k.s.९२-९३ )

11 दृष्यत्व की परिभाषा

भामतीमते- वृत्तिव्याप्यत्वम् दृष्यत्वम् ।

विवरणमते- शब्दाजन्यवृत्तिविष्यत्वम् सप्रकारकवृत्ति- विष्यत्वम् वा दृष्यत्वम् (नतु वृत्तिव्याप्यत्वम्  दृष्यत्वम्)।

          (अद्वैत. वे. में भामती प्र. का तु. अध्ययन ३४२)



1 टिप्पणी:

S.K.Shastri ने कहा…

अत्यंत विश्लेषित दर्शनसार होने से सरलता से समझ में आता है।