दृष्टांत सहित शास्त्रों के संकेत

1. पुण्य का अवसर खो देना ही पाप है 

भारतीय षड्दर्शनों के पूर्वमीमांसा दर्शन के अनुसार भी संध्या, नित्यअग्निहोत्र आदि नित्य कर्मों का पूण्य नहीं लगता  परंतु संध्याकाल में संध्या आदि नहीं करने (ईश्वर का चिंतन छोड़कर प्रपंच का चिंतन करने)से पाप जरूर लगता है।

यहूदी धर्म में तालमुद ग्रंथ अनुसार भी  ईश्वर नहीं पूछेगा की  पाप क्या क्या किया है अपितु पता करेगा कि पूण्य क्या क्या नहीं किया अर्थात पूण्य के कितने अवसर गवां दिए उनका ही दंड देगा।

2.स्वस्थता का लक्षण ("मैं शरीर हुँ "इस भ्रम की निवृत्ति )

आयुर्वेद के अनुसार भी तनाव रहित शरीर इतना हल्का होता है कि शरीर का पता ही नही चलता ,को ही स्वास्थ्य माना गया है क्योंकि पैर में काटा चुभने पर पैर का एवं शिरदर्द होने पर शिर का पता चलता है। एवं दार्शनिकों के अनुसार तो व्यक्ति को मोक्ष जो व्यक्ति की वास्तविक अवस्था मानी गई है उसमें शरीर के साथ तादात्म्य  किसी के भी द्वारा माना ही नही  गया है। और तो और चार्वाक् दर्शन में भी शरीर छूटने को ही मोक्ष मानने से उपरोक्त लक्षण उनके सिद्धान्त में भी घटता है ।



देवी महात्म्य by swami क्रिश्नानान्दजी

Memorial Videos

1. श्री रमण महर्षि

2.भागवत टीका "श्रीधरी"के लेखक स्वामी श्रीधरानंद जी
3.स्वामी शिवानंद जी ऋषिकेश और आनंदमयी माता
4.निमकरोली वाले बाबा
5.स्वामी नित्यानंद जी गणेशपुरी
6.Dr. भीमराव अंबेडकर की ओरिजिनल वॉइस
7.भगवान रजनीश की अंतिम (1990)स्पीच ओरिजिनल वॉइस

             

  8.स्वामी रामानंद सरस्वतीजी महाराज मार्कण्डेय सन्यास आश्रम ॐकारेश्वर

                     

भामती एवं विवरण के दृष्टिकोणों का तुलनात्मक चित्रण(Difference between bhamati and vivarana prasthan)

अद्वैत वेदान्त के प्रस्थान     

                     1 स्वप्न का अधिष्ठान                      भामतिमते-अहंकार से अवच्छिन्न चैतन्य

विवरणमते-बिम्बचैतन्य

         2 स्वाप्न का परिणामी  उपादान कारण

भामतिमते-मन की कल्पना मात्र होने से स्वाप्न पदार्थ किसी का परिणाम नहीं ।

विवरणमतेस्वाप्न पदार्थों का परिणामी उपादान तुलाविद्या  । 

3भ्रम का अधिष्ठान

भामतिमते- ईदमाकारवृत्ति से अवच्छिन्न  चैतन्य  

विवरणमतेइदमंशावछिन्न चैतन्य  

                               (सिद्धान्तलेश.by मूलशं.३४८)

4 जीव ब्रह्म का सामानाधिकारण्य

भामतिमते-बाधसामानाधिकरण्य ।

विवरणमते- मुख्यसामानाधिकारण्य

5 मोक्ष का स्वरूप

भामतिमते-अविद्या की निवृत्ति

विवरणमते-आत्मस्वरूप में अवस्थिति

6 प्रातिभासिकपदार्थबाध का स्वरूप

भामतीमतेतुलाविद्या के कार्य ( शुक्तिरजत) के अधिष्ठान (शुक्ति आदि )के साक्षात्कार से सोपादानक (तुलाविद्यासहित )शुक्तिरजत का  नाश होना ही प्रातिभासिक-पदार्थ का बाध है ।

विवरणमतेमुद्गर प्रहार से घट की तरह शुक्तिरजत मात्र की निवृत्ति। न कि उपादानभूत मुलाज्ञान सहित नाश ,क्योंकि वह मूलाज्ञान तो ब्रह्मसाक्षात्कार से ही निवृत्त होगा ।।                             (अद्वैत-नवानीतम 40)

7  एक जीव  है या अनेक

भामतीमते-एक जीव

विवरणमते-जीव नाना              (अद्वैत-नवानीतम्  १२)


8 विषय प्रकाशक

भामतीमते-प्रकाशकत्वं जीवचैतन्यस्यैव स्वीक्रियते।तच्च एकीभावद्वारकमेव ।

वरणमते -साक्षात्ब्रह्मप्रकाशत्वेन  आवरणाभिभावार्थत्वपक्षो विवरणाचार्याणाम्।    [वेदांतपरिभाषा A.K.S. १०१)

9 जीवेश्वरत्व की उपाधियाँ

भामतीमते-घटाकाशवत्  अंत:कराणावछिन्ना जीवा: तदवछिन्न ईश्वर: |

विवरणमते-अज्ञानप्रतिबिम्बस्यान्त:करणरूपाज्ञान-परिणामभेदोविशेषाभिव्यक्तिस्थानम् सूर्यातपस्य दर्पण इवेति विवरणपक्ष: ।           (अद्वैतनवानीतम् ५३-५४ ]

10 आवरण अभिभव का स्वरूप

भामतीमते- चैतन्यमात्रावारकस्याज्ञानस्यैकदेशेन वृत्त्या नाश: ।

विवरणमते-कटवत् संवेष्टनम्  भीतभटवत्  अपसरणं वावरणाभिभव: । 

(तत्र प्रथममतम् अज्ञानस्य जीवाश्रयत्वपक्षावलम्बनात् वाचस्पतिमिश्रानुयायिनामपरे तु विवारणानुयायिनाम् )                                (वेदान्तपरिभाषा a.k.s.९२-९३ )

11 दृष्यत्व की परिभाषा

भामतीमते- वृत्तिव्याप्यत्वम् दृष्यत्वम् ।

विवरणमते- शब्दाजन्यवृत्तिविष्यत्वम् सप्रकारकवृत्ति- विष्यत्वम् वा दृष्यत्वम् (नतु वृत्तिव्याप्यत्वम्  दृष्यत्वम्)।

          (अद्वैत. वे. में भामती प्र. का तु. अध्ययन ३४२)



योगवासिष्ठ एवं उपनिषदभाष्य-पारायण(Yog vasishth&shankar-bhashya audio)

Yog vasishth

1.  योगवासिष्ठ 19 To 3.2


योगवासिष्ठ 2/16 To 2/19
ईशावास्योपनिषद चाँटिंग

केनोपनिषद शांकरभाष्य 1st खण्ड चंटिंग डाउनलोडकरे या सुने

केनोपनिषद शांकरभाष्य 1st खण्ड पदभाष्य chanting [sanskrit]


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तत्वमुक्ताकलाप

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